Monday, October 23, 2017

An impromptu Ode to Kashmir


(During my visit to Kashmir in March 2012)

श्वेत धवल दिव्य शैल,
श्वेत धवल हिमज शैल,

गगन निकट, किरण प्रतीत,
वायु भीषण, प्रचंड शीत,

जन-जंतु वन विहंग,
अदृश्य सर्व सृष्टि भंग,

ब्रह्मा, केशव, चंद्रचूड़,
देवी शक्ति रहस्य गूढ़,

चतुर्दिश ध्वनिराहित प्रबुद्ध,
ह्रदय स्पंदित किन्तु निस्तब्ध,

सरिता भूमि अति परिष्कार,
सुमन-सौरभ नाना-प्रकार,

श्रुति, कृति संग ॐ-नाद,
मन-मानस अद्भुत उन्माद,

प्रकृति छवि अति सुप्रिय,
नमामि नमामि हरिप्रिय I 

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